आज तुम्हारी बोहोत याद आरही है।
यूं तो प्यार हम तुमसे करते है
पर यह प्यार आज बोहोत सता रही है।
कागज के इस पन्ने पर,
शब्दों के कुछ आसू बिखेर दिए हैं,
सुनना चाहोगे? सुनना चाहोगे इस आशिक दिल का इजहार?
आज तुम्हारी बोहोत याद आरही है।
चेहरे से मानो हशी मिट गई है,
हशी की वजह जो तुम हो।
यूं बेवजह , याद तुम क्यों आराही हो?
सुबह सुबह PT काफी कर रहा हु,
हाथो से चलना, पैरो से आशमा छू रहा हूं।
दर्द तो होता है,
पैरो मैं नहीं,दिल में ज्यादा होता है।
कुबूल है यह दर्द, यह बोझ।
पर नामंजूर है, यह दूरियां हर दिन दर पल।
आज तुम्हारी बोहोत याद आरही है।
यहा बारिश नहीं होती,
फोन पे, तुम्हारी मीठे लब्जो से, सावन माना लेता हूं।
तुम्हे भुलाने की कोशिश तो कर रहा हूं,
फिर भी तुम्हारे लिए, तुम्हारे बारे में लिख रहा हूं।
आज तुम्हारी बोहोत याद आरही है।
ख़ेर, फोटो में तो तुम्हे देख लेता हुं,
पर तुम्हारे होने का अहसास,
तुम्हारे हसने का अंदाज,
याद करता हूं।
मानो तुम बस एक ख्वाइश सी बन के रह गई हो,
इस दिल की एक नाकाम कोशिश सी बन के रह गई हो।
आज तुम्हारी बोहोत याद आरही है।